आगे थी तेज रोशनी, पीछे अपना ही था साया। ना एक कदम आगे बड़ा, ना मैं पीछे चल पाया।। इस वक्त में भी कुछ लोग, भागे जा रहे थे। कुछ चाहते थे वे जिंदगी से या मिलने जा रहे थे।। सुनाने के लिए अंदर, कई कहानियां पड़ी थी। लेकिन चुप रहने की, अपनी भी एक जिम्मेदारी बड़ी थी।। ये समय भी बीत जाएगा, खुद को मैं समझा रहा था। सबसे लड़कर भी मैं, जीत नहीं पा रहा था।। एक–एक कदम सब दूर हो रहा था। एक समय ऐसा था, सब मंजूर हो रहा था।।
क्या लिखूं, तू कहे झूठ, चल तेरी वफ़ा लिखूं क्या लिखूं, तू कहे आशा, तुझसे मिलने का वक्त लिखूं क्या लिखूं, तू कहे अंधेरा, अपनी मैं कहानी लिखूं क्या लिखूं, तू कहे सवेरा, अनजान एक सफ़र लिखूं क्या लिखूं, तू कहे सपने, नया कोई संसार लिखूं क्या लिखूं, तू कहे डर, अकेलेपन का नाम लिखूं क्या लिखूं, तू कहे मौसम, बदलते शब्द मैं रोक सकू क्या लिखूं, तू कहे गुस्सा, कमजोरी को मैं शब्द दू क्या लिखूं, तू कहे खुशी, अब चंद पल मैं क्या लिखूं