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कविता - जिन्दगी कभी Alright नहीं होती

जिन्दगी कभी Alright नहीं होती,
जैसी तुम चाहो, वैसी बात नहीं होती,
समय तो लगेगा कुछ बनने में,
जैसे जो कल होनी हो रात, वो आज नहीं होती।।

सालों से ख्वाबों में जो सपने सजाए हैं,
चलना, गिरना फिर संभालना खुद, अपनी तरह सिखाए हैं,
उनके पीछे भागने में, मेहनत बेकार नहीं होती,
जैसी तुम चाहो, वैसी बात नहीं होती।।

हो जाओ कलेक्टर या इंजिनियर या डॉक्टर ही बन जाओ तुम,
कुछ तो कमी रहेगी ज़िंदगी में, इस बात को भी समझ जाओ तुम,
'आगे बढ़ने की खुशी, और पीछे जाने का डर', के बीच भी ज़िन्दगी आम नहीं होती,
जैसी तुम चाहो, वैसी बात नहीं होती।।

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