आगे थी तेज रोशनी, पीछे अपना ही था साया।
ना एक कदम आगे बड़ा, ना मैं पीछे चल पाया।।
इस वक्त में भी कुछ लोग, भागे जा रहे थे।
कुछ चाहते थे वे जिंदगी से या मिलने जा रहे थे।।
सुनाने के लिए अंदर, कई कहानियां पड़ी थी।
लेकिन चुप रहने की, अपनी भी एक जिम्मेदारी बड़ी थी।।
ये समय भी बीत जाएगा, खुद को मैं समझा रहा था।
सबसे लड़कर भी मैं, जीत नहीं पा रहा था।।
एक–एक कदम सब दूर हो रहा था।
एक समय ऐसा था, सब मंजूर हो रहा था।।
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