Skip to main content

कविता - क्या लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे झूठ, चल तेरी वफ़ा लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे आशा, तुझसे मिलने का वक्त लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे अंधेरा, अपनी मैं कहानी लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे सवेरा, अनजान एक सफ़र लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे सपने, नया कोई संसार लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे डर, अकेलेपन का नाम लिखूं

क्या लिखूं,

तू कहे मौसम, बदलते शब्द मैं रोक सकू

क्या लिखूं,

तू कहे गुस्सा, कमजोरी को मैं शब्द दू

क्या लिखूं,

तू कहे खुशी, अब चंद पल मैं क्या लिखूं

Comments

Popular posts from this blog

कविता - लॉकडाउन

क्या करे क्या ना करें में उलझ सी गई हैं ज़िंदगी, ना जाना कहीं फिर कहाँ ले आई है ज़िंदगी।। जहाँ कुछ ना करना भी एक काम-सा लगता हैं, खुद को बचा लेना भी एहसान-सा लगता हैं।। कुछ तो कसूर रहा होगा सबका, जो यह संभालता बिगड़ता वक्त आया है, जानता था खुदा भी तभी उसने डॉक्टर्स को बनाया हैं।। सब कुछ धम गया हैं आजकल, पर बहुत तेज़ निकल हैं ज़िंदगी, क्या करे क्या ना करें में उलझ सी गई हैं ज़िंदगी।।

कविता

आगे थी तेज रोशनी, पीछे अपना ही था साया। ना एक कदम आगे बड़ा, ना मैं पीछे चल पाया।। इस वक्त में भी कुछ लोग, भागे जा रहे थे। कुछ चाहते थे वे जिंदगी से या मिलने जा रहे थे।। सुनाने के लिए अंदर, कई कहानियां पड़ी थी। लेकिन चुप रहने की, अपनी भी एक जिम्मेदारी बड़ी थी।। ये समय भी बीत जाएगा, खुद को मैं समझा रहा था। सबसे लड़कर भी मैं, जीत नहीं पा रहा था।। एक–एक कदम सब दूर हो रहा था। एक समय ऐसा था, सब मंजूर हो रहा था।।

कविता - काश..सारे सपने ही साकार हो जाते

काश..सारे सपने ही साकार हो जाते, सोच लेने भर से ही काम हो जाते । ना जाते बाहर कहीं और सारा शहर घूम आते, यूं अगर सपने भी साकार हो जाते । । सोए रहते सारा दिन और महान हो जाते, लिख देते कुछ ऐसा के नाम हो जाते, यूं अगर सपने भी साकार हो जाते ।। एग्जाम्स भी हाई डिमांड गेम हो जाते, हर लेवल में नया सीखते कुछ अपना कर पाते, यूं अगर सपने भी साकार हो जाते । । जहां जाना सबसे मुश्किल हो, वही पहुंच जाते, देता जब आवाज कोई तो पल में लौट आते । यूं अगर सपने भी साकार हो जाते, सोच लेने भर से ही काम हो जाते ।।