क्या करे क्या ना करें में उलझ सी गई हैं ज़िंदगी, ना जाना कहीं फिर कहाँ ले आई है ज़िंदगी।। जहाँ कुछ ना करना भी एक काम-सा लगता हैं, खुद को बचा लेना भी एहसान-सा लगता हैं।। कुछ तो कसूर रहा होगा सबका, जो यह संभालता बिगड़ता वक्त आया है, जानता था खुदा भी तभी उसने डॉक्टर्स को बनाया हैं।। सब कुछ धम गया हैं आजकल, पर बहुत तेज़ निकल हैं ज़िंदगी, क्या करे क्या ना करें में उलझ सी गई हैं ज़िंदगी।।
I have tried many times to meet myself But every time I found myself far away from myself
ReplyDeleteHey! Frdz I hope u all are well tell me how my Poem is, which I wrote inspired by Poet Sandeep Dwivedi. Keep #Growing😇 Keep #Lving❣️