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कविता - सब जाग रहे तू सोता रह

माना  है मंज़िल मिली नही,
राह तो तुझसे छीनी नही,
बेकार की उलझन फ़सा रह,  

 सब जाग रहे तू सोता रह,
किस्मत को थामें रोता रह।।

नई चुनोतियाँ आएगी,
बहा तुझे ले जाएगी,
तू आखँ मूँद बस बैठा रह,

सब जाग रहे तू सोता रह,
किस्मत को थामें रोता रह।।

रात के सपने पूरे कर,
दिन के कई बहाने हैं,
जो अनमोल खज़ाना मिला तुझे,
तू बैठ खज़ाना खोता रह,

सब जाग रहे तू सोता रह,
 किस्मत को थामें रोता रह।।

मंज़िल तेरी आसान नही,
जो राह दे ना दिखाई कहीं,
तू राह खुद बनाता रह,

तू काम में अपने खोता रह,
किस्मत से आगे होता रह।।

Comments

  1. Hey! Frdz I hope u all are well tell me how my Poem is, which I wrote inspired by Poet Sandeep Dwivedi. Keep #Growing😇 Keep #Lving❣️

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