जो राह मंज़िल मिला रही हो, दिमाग चाहे थका रही हो, लक्ष्य तक पहुँचे बिना, मैं कही रूकता नही हूँ, सपनो की जब बात हो, तो मैं किसी की सुनता नही हूँ || लोग चाहे हो बुरे, तर्क-वितर्क से घेरे, उन बेकार बहस में, मैं उलझता नही हूँ, सपनो की जब बात हो, तो मैं किसी की सुनता नही हूँ ||
I have tried many times to meet myself But every time I found myself far away from myself