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Showing posts from May, 2020

Poem - Life After Corona

बढ़ती  बेरोजग़ारी  को, कौन रोक पाएगा । निकाले गए जो नौकरी से, कौन उन्हें बुलाएगा । कॉरोना काल के बाद, कुछ तो बदल जाएगा। । जो गांव अपने चले गए, उन्हें कौन वापस लाएगा। कौन बनाएगा घर, कौन रिक्शा चलाएगा। कोरॉना काल के बाद, कुछ तो बदल जाएगा।। डिजिटल होगा ज़माना, क्राइम भी बढ़ जाएगा । कोई जाएगा रेस्ट्रौंट, कोई भूखा ही सो जाएगा । कॉरोना काल के बाद, कुछ तो बदल जाएगा।। सूरज की नई किरण, नई हवा भी छू कर जाएगी । हर तरफ होगी हरियाली, नई कालिया खिल कर आएगी । पर क्या  प्रकृति पर भरोसा, वहीं रह पाएगा । कॉरोना काल के बाद, कुछ तो बदल जाएगा।। गरीब और गरीब, किसान कर्जदार हो जाएगा । पर कहने को तो सब, ठीक हो जाएगा । कॉरोना काल के बाद, कुछ तो बदल जाएगा। कॉरोना काल के बाद, सब कुछ बदल जाएगा।।

कविता - लॉकडाउन

क्या करे क्या ना करें में उलझ सी गई हैं ज़िंदगी, ना जाना कहीं फिर कहाँ ले आई है ज़िंदगी।। जहाँ कुछ ना करना भी एक काम-सा लगता हैं, खुद को बचा लेना भी एहसान-सा लगता हैं।। कुछ तो कसूर रहा होगा सबका, जो यह संभालता बिगड़ता वक्त आया है, जानता था खुदा भी तभी उसने डॉक्टर्स को बनाया हैं।। सब कुछ धम गया हैं आजकल, पर बहुत तेज़ निकल हैं ज़िंदगी, क्या करे क्या ना करें में उलझ सी गई हैं ज़िंदगी।।