आम सा पल सरेआम हो गया। वो देखने आए हमे और सब तबहा हो गया।। कोशिश तो हमने भी कि थी अपने घर को सजाने की। पर उसी वक्त, वक्त बेवक्त हो गया।। आम सा पल सरेआम हो गया। वो देखने आए हमे और सब तबहा हो गया।। यूं तो गिरकर हर बार उठे हैं। पर बिना चले गिरना, ये समझ से परे हो गया। । आम सा पल सरेआम हो गया। वो देखने आए हमे और सब तबहा हो गया।। ज़िन्दगी लगी जिसे बनाने में, वो एक पल का ख्वाब हो गया। जैसे खुले आसमान का, मकान हो गया।। आम सा पल सरेआम हो गया। वो देखने आए हमे और सब तबहा हो गया।। चुनी थी मंज़िल जो इतना वक्त लगाकर । वो कभी ना रुकने वाला, सफर हो गया। । आम सा पल सरेआम हो गया । वो देखने आए हमे और सब तबहा हो गया। ।
I have tried many times to meet myself But every time I found myself far away from myself